25 March 2017

क्या करें सर ....पढ़ने का मूड नही हैं.....

आप एक घने जंगल से होकर गुजर रहे है,अचानक शेर की दहाड़ सुनाई देती है .....आप यह कहने का साहस जुटा सकते हो कि आज मूड नहीं है इसलिए नहीं दौडूगा.....आपको तैरना नहीं आता और आप पानी में डूब रहे हैं,तो आप यह कहने का साहस कर सकते है कि" बचाओ बचाओ " चिल्लाने का मूड नहीं है.........क्या आप civil line या नये यमुना पुल पर घूमने के लिए मूड की इजाज़त लेते हो ??

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क्या आप शुक्रवार को हिट मूवी का first show देखने के लिए मूड का सहारा लेते हो??.......क्या आप अपनी गर्ल फ्रेंड से बात करने के लिए मूड का सहारा लेते हो......नहीं ना....तो फिर पढ़ाई में हर बार मूड की हेल्प क्यों....??आप कोशिश कर देख लीजिए जब भी आप अपने मूड से पूछेंगे,तो कम से कम आधे दिन आपका मन कहेंगा ....पढ़ने का मन नहीं है,जो असफलता की नींव तैयार करने में मदद करेगा,इसलिए कभी जरूरी काम के लिए मूड की तबीयत ना पूछें.

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मैंने कई छात्रों से सुना है,मैं डाक्टर बनना तो चाहता हूँ,पर पढ़ने में मन नहीं लगता क्या करूँ....अगर आपने डाक्टर बनने का संकल्प किया है तो इसका मतलब तो यह हुआ ना आपने सबसे कठिन कामों को ,सर्जरियो को,करने का फैसला किया है..........दोस्तों जैसे मन्दिर में पूजा -पाठ करने के लिए पुजारी कभी मूड का सहारा नहीं लेता,शीत ऋतु में बर्फ जैसे ठंडे पानी में सूर्योदय से पहले नहाकर बैठ जाता है,वह यह काम साल के 365 दिन बिना मूड का सहारा लिए हर रोज़ करता है,उसी तरह आपको बिना बहाना बनाएँ अपने काम को लगन से हर रोज़ करना ही करना है .

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इसलिए मित्रों जो काम जरूरी है,उसके लिए मूड का सवाल भी पैदा नहीं होता.....मूड के आज से ही दास नहीं मालिक बन जाईये......फिर देखिए आपकी AIIMS/KGMC/BHU/AFMC/IITs/NITs की राह कितनी सुगम तथा आसान हो जाती हैं ...

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