14 September 2013

हर संडे डॉ सिन्हा के संग-४

{इस रविवार मैं गुरुदेव की कक्षा में लगभग दौरते हुए पंहुचा और जाकर पीछे बैठ गया }

प्यारे बच्चों !लक्ष्य निर्धारण के लिए हमने काफी कुछ अभ्यास कर लिया हैं,अब आप सब निम्न सारणी कों भरें |लेकिन इससे पहले कुछ सवाल खुद से पूछ लीजिए-

१]मुझे जीवन में क्या चाहिए ?What i want in my life?


2]मैं जीवन में क्या करना चाहता हूँ ?

What i want to do in my life?


३]मैं जीवन में क्या बनना चाहता हूँ ?What i want to become in my life?


4]मैं किस तरह से जीना चाहता हूँ ?How do i want to live?

अब इस सारणी कों उपर से नीचे भरे ,यानी पहले जीवन का उद्देश्य ,फिर उसे पाने के लिए एक साल में कितनी मेहनत ,पांच साल में कितनी मेहनत ,१० साल में कितनी मेहनत करनी होंगी |
                                                {चित्र पर क्लिक करके बड़ा कीजिये }

सही दिशा की मेहनत और सही तरह की मेहनत बहुत महत्वपूर्ण हैं |जीवन में लक्ष्य का तो बहुत ही ज्यादा महत्व हैं एक सही लक्ष्य हमे हमारे सपनो के करीब बहुत तेजी से ले जाता हैं |
जीवन में सही लक्ष्य का बहुत महत्व हैं ,लक्ष्य यानि जीवन का नक्शा |
मान लीजिए आपको इलाहाबाद से लखनऊ जाना हैं ,और आपको कानपुर का नक्शा दिया हैं तो क्या आप उस्  नक्शे की सहायता से लखनऊ जा सकते हैं…………………………………………………………………………….
नही ?
फिर हम गलत नक़्शे की सहायता से अपने जीवन में जो चाहतें हैं

वो कैसे हाशिल कर सकतें हैं
कुछ लोग लक्ष्य का निर्धारण ५ मिनट में कर लेतें हैं
आप बाजार एक पैंट खरीदने जाते हैं सैकड़ो पैंटो में से एक पैंट चुनतें हैं |फिर आपकी जिंदगी इतनी कीमती हैं उसके लिए लक्ष्य निर्धारण इतने अल्प समय में कैसे कर लेते हैं ?
पूरा सोच विचार ,आकलन करने के पश्चात्…….अपनी स्थिति का सही निर्धारण करने के बाद ही स्मार्ट लक्ष्य बनाने चाहियें |
हमे अपने ज्ञान को लगातार बढाते रहना होंगा क्यूंकि बीते हुए कल में आपका शैक्षिक जानकारी स्तर क्या था ,यह आज पुराना हों चुका हैं आज के अनुसार अपडेट करना होंगा |
खुद को लगातार प्रेरित करना होंगा यदि हमे हमेशा सर्व-श्रेष्ठ प्रदर्शन करना  हैं तो ….
ज्ञान मे शक्ति बनने की परम शक्ति हैं |
जीवन में संघर्ष के बिना कुछ हाशिल नही होता किसी कवि ने कहा हैं , ने कहा हैं
समर में घाव खाता हैं ,
उसी का मान होता हैं .
छिपी उस वेदना में ,
अमर वरदान होता हैं ,
सृजन में चोट खाताहै,
छेनी और हथोरी से ,
वही पाषाण कही मंदिर में
भगवान होता हैं …….

13 September 2013

हर संडे डॉ सिन्हा के संग -३




{डॉ सिन्हा के उदारपूर्ण व्यक्तित्व और अपनेपंन की भावना से हम सब अभिभूत थे |अनुभव और ज्ञान के चलते फिरते विश्वविद्यालय ,बुजुर्ग और Animal Spirits वाली नवजवानों की पीढ़ी के बीच ज्ञान,आध्यात्म और दर्शन का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण का विहंगम दृश्य लेकर मैं अजय एक बार फिर से हाजिर हूँ}

     हमारी आज की कक्षा फूलों के बगीचे में घने बरगद के वृक्ष के नीचे एक पक्के चबूतरे पर आयोजित हैं |लाल ,गुलाबी, हरे, सफ़ेद, बैगनी और अन्य सैकड़ों इन्द्रधनुषी रंग के फूल चारो ओर खिलकर अपनी मधुर सुगंध विखेर रहें हैं |ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर पंक्षी कलरव कर रहें हैं ,कोयल की कुं-कुं ,पपीहे की प्युं-प्युं ध्वनि कानो कों बड़ा सुकून दें रहीं हैं | सामने छोटे जलाशय में सफ़ेद सफ़ेद बत्तखें एवं कुछ हंसो का जोड़ा हरे-हरे नरम घास पर विचरण कर  रहा हैं,ठंडी हवाएं हमारे तन-मन कों शीतलता प्रदान कर रहीं हैं,स्फूर्ति ,नवजीवन और अदभुत एहसास से हम बड़ा ही अलौकिक महसूस कर रहें हैं ,ऐसा लग रहा हैं की भीतर से कुछ मजबूत हों रहा हैं ,जिसे आप इरादा कह सकतें हैं ,कमिटमेंट कह सकतें हैं ,जिजीविषा या जीवन शक्ति भी कह सकतें हैं |
     मंच पर अचानक सभी शांत हों गए हैं,क्यूंकि गुरुदेव आ चुके हैं |सफ़ेद सौम्य कपड़ो में डॉ सिन्हा देवदूत सरीखे लग रहें हैं ,आज उनके साथ मिसेज सिन्हा भी हैं|बेहद खूबसूरत कपल....|
   दोस्तों !हर उम्र का एक सौंदर्य होता हैं ,एक बच्चे ,एक युवा ,एक बुजुर्ग हर एक में अलग अलग उम्रो की विशिष्ट नैसर्गिक आभा होती हैं |आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे |
  हल्के योगासनों और ध्यान के बाद डॉ सिन्हा ने हम सबको संबोधित किया ..
    "जब हम विषम से विषम परिस्थितियो में भी अपने सर्वोच्च जीवनमूल्यों और विश्वासों के अनुसार जीते हैं तो हम  मानसिक शांति का आनंद लेते हैं ,अन्यथा हम जिंदगी भर इसकी तलाश में भटकतें रहते हैं जबकि यह हमारी नैसर्गिक अवस्था हैं'|
  अब सभी लोग अपनी आँखे बंद कर लें |गहरी सांसे खींचे ,सांसो कों आता जाता देखें,महसूस करें साँसों पर ध्यान रखें|दो मिनट तक यह अभ्यास जारी रखें.....
रिलैक्स ..........रिलैक्स ..........रिलैक्स
१ मिनट....
२ मिनट....

       'अब आप अपने आदर्श जीवन की कल्पना करें ,की तत्वों का कौन सा क्म्पोजिसन आपको पूरी तरह आनंदित बनाएंगा ,खुश रखेंगा |इस पल आपको यह चिंता नही करना हैं की आपके लिए क्या संभव हैं क्या नही हैं |अपने मस्तिष्क कों सीमाओं से मुक्त कर दें |और स्पष्टता से अपनी भौंहों के ऊपर बंद आँखे ले जा कर कल्पना किजीयें की मानसिक शांति के लिए आपको क्या क्या चाहिए ?
आप क्या करेंगे ?
आप कहाँ रहेंगे ?
आपके साथ कौन रहेंगा ?
आप अपना समय {रात/दिन }कैसे बिताएंगे ?
आपका काम हर तरह से उत्कृष्ट होने पर कैसा दिखेंगा ?
आपके प्रियजन पूर्ण शांति और सुख की अवस्था में रहें तो आपका पारिवारिक जीवन कैसा होंगा ?.........
    खास बात यह हैं की आप उस लक्ष्य पर निशाना नही लगा सकते,जो आपकी नजरो में न हों ,इसलिए अगर किसी चीज कों आप स्पष्टता से विजुलायिज कर सकतें हैं ,तो उसे आप पा भी सकते हैं |
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       हमारा शरीर अदभुत हैं ,इसके साथ अगर हम कुछ निश्चित चीजे करना बंद कर दें तो यह अक्सर अपने आप ठीक हों जाता हैं ,किन्तु हम तम्बाकू,निकोटीन ,अल्कोहल... अनावश्यक ड्रग्स द्वारा इसके साथ दुर्व्यवहार करते रहतें हैं,फिर भी ईश्वर निर्मित इस अदभुत यांत्रिकी में दुबारा स्वस्थ्य व उर्जावान होने की प्रत्याशा समायी हैं |
आदर्श सेहत हैं ,आपकी ऐसी कल्पना कीजिये |आदर्श फिटनेस पाकर आप कैसे दिखेंगे ?किसा महसूस करेंगे ?आपका वजन कितना होंगा ?आप कैसा भोजन और व्यायाम करेंगे ,एरोबिक्स करेंगे या भारी कसरत |
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    हम सब सामाजिक जीव हैं ,हमारे सम्बन्ध इंसान के रूप में हमारी सफलता के पैमानें हैं |कोई परिवार कितना खुश रहता हैं ,कितना आपस में लोग हंसते हैं ,इसी से सम्बन्धों का हाल चाल पता चल सकता हैं |जीवन में आप सबका लक्ष्य एक ऐसा मानवीय परिवेश बनाने का होना चाहिए जिसमे आप खुश ,संतुष्ट और सुखी रहें |
     आपका आदर्श सम्बन्ध किसके साथ होंगा ,कैसा दिखेंगा?अगर आप अपने महत्वपूर्ण संबंधो की कल्पना पुरे डिटेल के साथ कर सकें ,तो संबंधो में क्या ज्यादा चाहेंगे क्या कम ?आप अपने जीवन में उन परिस्थितियों के निर्माण के लिए क्या क्या करेंगे ? स्पष्टता से विजुलायिज करें |
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   बच्चों !मैं आपसे कहूँगा की आप अपनी योग्यताओं और गुणों कों इतना ज्यादा बढा लें ,ताकि तसल्ली रहें की आप पर्याप्त पैसा कमा सकतें हैं ,इससे आप सब में आर्थिक स्वतंत्रता का एहसास पनपेंगा जो की किसी भी लक्ष्य कों हांसिल करने के लिए महत्वपूर्ण हैं” |
    आप सब इमैजिन कीजिये ,की आपके पास अलादीन का चिराग या जादुई छड़ी  हैं ,जिसे हिलाते ही  जितना धन चाहेंगे प्राप्त हों जायेंगा |अब आप अपने सारे आर्थिक लक्ष्य हांसिल कर लें तो आपकी जिंदगी कैसी दिखेंगी ,आज से कुछ वर्षों बाद आप कितना धन कमाना चाहेंगे ?आप किस तरह के घर में रहेंगे ?कैसी गाडी से चलाना पसंद करेंगे,रिटायरमेंट के समय अपनी कुल कितनी संपत्ति चाहते हैं ?सब स्पष्टता से देखें |
     यह अभ्यास आपको रोजाना करना हैं ,आप सभी घर जाकर इन सब प्रश्नों का उत्तर अपनी डायरी में लिखेंगे |जहाँ तक आप सोंच सकें ,कोई लिमिट नही क्यूंकि इस केस में आप जितना पाँव फैलायेंगे उतनी ज्यादा चादर फैलती जायेंगी |इस अभ्यास से आप ठीक ठीक जान जायेंगे की आप जीवन में क्या चाहते हैं ?और किस तरह उन सब चीजों कों पाना हैं ,इससे लक्ष्य निर्धारण आसान हों जायेंगा जिसकी चर्चा अगली कक्षा में होंगी |
     आप कों अपनी कल्पना की कुंची से जीवन के कैनवास पर मास्टरपीस बनाना हैं |आप कों जहाँ पहुंचना हैं वहाँ पहुँचने की प्रक्रिया की चिंता न करें ,यह खुद ब खुद होंगा ,जैसे बीज बोने पर पौधा  खुद ब खुद  निकलता हैं ,आप बीच में ,बीज जमाई हुयी मिटटी कों कुरेदते भी नही हैं ,इसी तरह से एक बार बीज बो देने के बाद आपको फसल का इन्तेजार करना चाहिए |
 {यह सारी कथा काल्पनिक हैं ,किसी जीवित या मृत पात्र से कोई सम्बन्ध नही हैं }
                                                                                 -अजय यादव

10 September 2013

हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !{भाग-२}



 आनंदमय जीवन के ४ आधार स्तम्भ !

इस रविवार की बैठक नियत समय पर शुरू हुयी |श्री सिन्हा जी ने हम सभी से पूछा –

“आप सब मेहनत क्यों करते हैं”?,मैं बोल पड़ा “सफल होने के लिए ,खुश रहने के लिए और मन की शांति के लिए” |

     मेरे उत्तर से सभी सहमत दिखे |दोस्तों ज्यादातर हम हार्डवर्क करतेहैं ,जबकि हमे बुलंदियो पर पहुँचने और वहाँ टिकने के लिए ‘शार्प वर्क और स्मार्ट वर्क’ करने चाहिए |

 हम सब की उत्सुकुता कों भांपते हुए सिन्हा सर ने बोलना जारी रखा-

         “हमारे पास हमारा शरीर और मन दो टूल हैं जिनसे शार्प वर्क होता हैं |शरीर के पास मसल्स पावर ,बाडी स्टैमिना ,और रिफ्लेक्सेज की शक्ति हैं |शरीर से शार्प वर्क कराने के लिए उसे पौष्टिक आहार ,नियमित कसरत और पर्याप्त आराम देना जरुरी हैं |मन के पास ज्ञान ,कौशल और नजरिये की शक्ति होती हैं |हमे मन की शक्ति बढाने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए और सकारात्मक पुस्तके पढनी चाहिए और रिलैक्सेशन तथा विजुलायिजेसन करना चाहिए” |

      अपने बुजुर्ग गुरु के अलौकिक ज्ञान सागर में हम लगभग डूब चुके थे,इन बहुमूल्य ज्ञान रत्नों से आत्मा आलोकित हों रही थी ..गुरुदेव ने आगे कहना शुरू किया –

   “स्मार्ट वर्क ,तब होता हैं ..जब सही दिशा में कार्य {working in right direction},और सही तरह का कार्य {working with right method}किया जाता हैं |बच्चों ! हमारे भारत में १% से भी कम लोग दैनिक लक्ष्यों कों आगे रखकर कार्य करते हैं |अंग्रेजी में एक कहावत हैं “if you fail to plan .....you plan to fail”.

सचमुच बहुत ज्ञान पूर्ण बातें सिन्हा जी बता रहें थे ,कृतज्ञता और गुरु के प्रति आदर से मेरे भीतर से अनुराग  की भावना उठ रही थी,सकारात्मक कम्पन्न से यह कक्षा गुंजायमान थी|

      “बच्चों !आनंदमय जीवन के चार आधार स्तम्भ हैं -भौतिक{physical-to earn} ,मानसिक{mental-to learn} ,सामाजिक {social-to love},आध्यात्मिक {spritual-to serve}|अगर चारों पिलर्स में से किसी एक पर से ध्यान हटा तो समझो जीवन रूपी बिल्डिंग डगमगाई" |

गुरुदेव ने अब एक एक पिलर पर प्रकाश डालना शुरू किया ....

               भौतिक आधार स्तम्भ में स्वास्थ्य,धन ,संपत्ति,पैसा आदि आता हैं ,पैसा तो सबकुछ नही हैं किन्तु फिर भी बहुत कुछ हैं |इस संदर्भ में मैं कहूँगा की ज्यादा भौतिक संपदा आकर्षित करने के लिए आपको “शबरी तकनीक” अपनाना चाहिए |जैसे शबरी राम कों पास बुलाने के लिए बस एक ही रत लगाये रहती थी “मेरे राम कब आवोंगे ,आ जाओ !राम ! राम  !राम .....”वैसे ही यदि हमे पैसा चाहिए तो ..’पैसा पैसा पैसा’करते रहना होंगा |

         मानसिक पिलर ,वे चीजे हैं जिनको हम सीखते हैं ,जैसे चिकित्सक हैं तो मेडिकल साईंस सीखना होता हैं ,उस दिशा की एडवांस खोजों के प्रति जागरूक रहना पड़ता हैं |अपने व्यवसाय के ज्ञान में महारत हांसिल करना हैं |

                सामाजिक पिलर के अंतर्गत दो बातें हैं –to love peopls,to be loved by peoples...हमारे पास बहुत धन हों ,किन्तु हमे कोई न चाहे तो वह सब कुछ बेकार हैं ,बाद में लोग चंदे काटना शुरू करते हैं ,दान देते हैं जब उनको कहीं भी मानसिक शांति नही मिलती हैं ,तब इन सब में मानसिक शांति तलाश करने निकलते हैं |

      आध्यात्मिक पिलर के अंतर्गत खुद कों जानने से सम्बंधित ज्ञान होता हैं की आप कौन हैं ,ईस पृथ्वी प किस उद्देश्य से अवतरित हुए हैं ,अपना लक्ष्य खोजना और उस पर जी जान से जुट जाना |कोई व्यक्ति समाज के लिए जो योगदान देता हैं वों सब भी आध्यात्मिक पिल्लर के अंतर्गत आता हैं |
 सारे पिलर्स मिलकर मानसिक शांति की ओर ले जाते हैं |जो सर्वोच्च मानवीय हित हैं |
लेखन-अजय यादव 
{सभी पात्र काल्पनिक हैं किसी भी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नही हैं } 

9 September 2013

हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !


                            
    {सोना रख लों ,चांदी भी रख लों ..पर ज्ञान हमे दे दों –अरबी कहावत }
        डॉ सिन्हा मुझसे ८० वर्ष बड़े हैं ,किन्तु उन्होंने खुद कों सकारात्मक कार्यों ,सामाजिक कार्यों से इस तरह जोड़ रखा हैं,की उनके पास रोजाना जीने का कोई न कोई मकसद होता हैं |वे उम्र में ६० से अधिक के नही लगते ,मेरी भेट उनसे उत्तराखंड आपदा के दौरान एक राहत शिविर में हुयी थी जहाँ वों बड़े जोशो-खरोस से राहत सामग्री पीडितो तक पहुंचा रहे थे,उनसे प्रेरित होकर युवाओं ने भी जान की बाजी लगा दी थी |मुझ जैसे युवा सत्य-खोजी में सीखने की ललक देख कर उन्होंने गुरु बनना स्वीकार कर लिया |डॉ सिन्हा देश के प्रसिद्ध दर्शन-शास्त्रियों के गुरु हैं,उनकी दर्शन शास्त्र पर दर्जनों पुस्तके छप चुकी हैं |
    दोस्तों ,हमारे बुजुर्ग मित्र ,हमारे बहुत बड़े मार्गदर्शक गुरु  होते हैं ,वे अनंत ज्ञान और अनुभव के जीवंत इन्सयिक्लोपिडीया  होते हैं,उनसे बात करते समय अगर हम उन्हें सुने ज्यादा और बोले कम ,तो हम बहुत शानदार जीवन सबक सीख सकते हैं |माफ कीजिये ,किन्तु कहना चाहूँगा की भगवान ने हम सबको इसीलिए हम सबको दो कान और एक मुह दिया हैं |
          नैनी से अरैल से संगम के मार्ग से होते हुए मैं उनके निवास स्थल झूंसी पहुंचा |आपको बता दूँ की प्रसिद्ध छायावादी कवियत्री सुश्री महादेवी वर्मा भी इसी मार्ग से संगम स्नान जाती थी|श्री सिन्हा जी का घर सकारात्मक कम्पन्न और सकारात्मक उर्जा से दमक रहा था |मैंने सिन्हा सर के चरण स्पर्श किया,उन्होंने बैठने का इशारा किया|मैं बैठ गया ,तभी एक खूबसूरत लावण्या युवती जलपान ,और फल लेकर आई| डॉ सिन्हा की पोती थी ,उन्होंने अपने पोते कों भी बुला लिया,दोनों मेरे समीप दरी के आसन पर बैठ गए  |
          “बेटा ! आजकल तुम कैसा महसूस कर रहे हों”?डॉ सिन्हा की मोहक मुस्कान और चमकती आँखे,चौड़ा ललाट और उस पर चन्दन का लेप,सफ़ेद बड़ी दाढ़ी ...तेजस्वी,मधुर किन्तु बुलंद आवाज उनके किसी महान ऋषि होने का बोध करा रहीं थी |”गुरुदेव आजकल बहुत व्यथित हूँ,कठिनाईयों से घिरा हूँ”मैंने कहा|सिन्हा जी मुस्कुराते हुए बोलें”बेटा बिना पथरीले,कटीले  रास्ते के  आज तक कोई भी लक्ष्य तक नही पहुंचा हैं |कठिनाईयां तो सफर का हुस्न हैं |विपरीत परिस्थितियो कों समझो ,स्वीकार करों तभी उनको अनुकूल बना सकोंगे |खुद कों परिणामों से अलग रखतें हुए ,सफलता और सम्पूर्णता से लग कर कार्य करो |दर्द और आनंद दोनों कों चखो |बच्चों !............जीवन में सिर्फ परिणाम देखा जाता हैं ,न की असफलता |जीवन में सिर्फ सीख होती हैं न की पाठ |अगर तुम लोग जागरूक रहकर देखोंगे तो परेशानियो में ही महान अवसर पाओंगे |याद रखो-

“सफलता का मोती निष्ठुरता की सीप में पलता हैं”|

             सुचित्रा ,उनकी पोती ने पूछा “दादा जी !जीवन सरल हैं ,आसान हैं |फिर कदम कदम पर हर परीक्षा में इतना  संघर्ष क्यूँ ?”..डॉ सिन्हा स्नेह से बोले “पुत्री !मुश्किलें ,संघर्ष ,कठिनाईयां ही हमारा वास्तविक रूप से साक्षात्कार कराती हैं ,हथौरे  की चोट ,सीसे कों तोड़ देती हैं ,किन्तु लोहे कों फौलाद बनाती  हैं|कठिनाईयां ही वास्तव में हममे निखार लाती हैं|पुत्री रिस्क लेना सीखो,जिन चीजों,जिन प्रोजेक्ट्स से आज डरती हों ,उनको करके देखो |डर तुम्हारी खुद की उत्पन्न की हुयी वस्तु हैं ,और हर निर्मित वस्तु की भाति इसको भी नष्ट किया जा सकता हैं | असुविधा के साथ नाता जोड़ो |कठिन से कठिन मार्गो पर चलो ,पैरों में चोट लग सकती हैं परन्तु बिना इन रास्तो के मंजिल का सफर भी तय नही होता |अपना वक्त security की खोज में मत बर्बाद करों हम सभी इंसान इस पृथ्वी पर महान उद्देश्य से अवतरित हैं,और हमे अपना उद्देश्य खोजकर उस पर कार्य करना होता हैं|ध्यान दो-

“जिस व्यक्ति का अपना कोई लक्ष्य नही होता वह जीवन भर दूसरों के लक्ष्य पूरा करने के लिए कार्य करता हैं”|

             “कुछ लोग मुझे पसंद नही हैं,उनसे कैसे डील करूं और अपना वर्ताव कैसे सुधारू ?” भीष्म ,सिन्हा साहब का पोता बोल पड़ा |सिन्हा साहेब मुस्कुराए और बोले आज सूर्य पश्चिम से कैसे निकला |कुछ भी हों पर मुझे यकीन था, अपनी परवरिश पर भरोसा था की तुम भी स्वयमविकास में रूचि लेकर ,महान व्यक्तित्व बनोंगे |सुनों पुत्र ! वर्षों पहले अक्सर अपनी कक्षाओं में मैं विद्यार्थियो कों एक इक्सरसाईज करवाता था ,जो इस प्रकार था-

      “मान लीजिए आज इस पृथ्वी पर आपका आखिरी दिन हैं ,आप अपनी आँखे बंद कीजिये और इमैजिन कीजिये ,की आपका व्यवहार अपने फैमिली मेम्बर्स ,पडोसियो ,सहकर्मियो,दोस्तों के साथ कैसा होंगा ?आप देखोंगे की आपके वर्तमान व्यवहार और इस अभ्यास के बाद के व्यवहार में काफी अंतर आ गया हैं |अभ्यास के दौरान जो आपने महसूस किया वही असली व्यवहार हैं,उसी तरह हमे व्यवहार करना चाहिए" |

              वत्स !तुम्हारे जीवन में कई ऐसी चीजे होती हैं जिनसे तुम नफरत करते होंगे ,चिढते होंगे ,या तनाव में पढ़ जातें होंगे ,जो इस बात का इंडिकेटर हैं की ‘भीतर से कुछ बदलना हैं’|ये चीजे या लोग तुम्हे तब तक परेशान करेंगे जब तक तुम वास्तविक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नही लोंगे |जब तुम इस तरह की जिम्मेदारी लेकर अपने दोषों कों ,ध्यान पूर्वक एक एक कर  दूर करने लगते हों |तो तुम्हारे और दूसरे लोंगो के बीच नजदीकियां बढेंगी |पुत्र !लोग मूल रूप से अच्छे ही होतें हैं ,जब तुम निस्वार्थ प्रेम से भर जाते हों ,विना शर्त के सभी कों प्रेम देने लगते हों,किसी पर दोषारोपण नही करते हों ,तो लोग पुरे विवेक,समझ से प्रतिक्रिया देते हैं |पुत्र सभी परछाइयाँ प्रकाश में विलुप्त हों जाती हैं | {क्रमशः ...}
************लेखन -अजय यादव  
{सारे किरदार काल्पनिक हैं ,किसी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही }

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