23 August 2013

जीवन हैं अनमोल रतन ! "change-change" & "win-win" {a motivational speech}

जीवन में हमेशा परिवर्तन होता ही रहता हैं |कभी हम उच्चतर शिखर पर होते हैं तो कभी विफलता के बिलकुल समीप |हमे अपने स्वप्नों की जिंदगी वाली सोंच कों हमेशा खुद पर हावी रखना हैं |हम अक्सर परिस्थितिजन्य सोंच एवं उनके दृश्यांकन में उलझे रहते हैं ,हमे बुरी दशाओं में भी अच्छी चीजों की कल्पना करने का साहस करना होंगा ,क्यूंकि हम मनुष्य हैं और अपनी खुद की दुनिया के निर्माता भी हैं |दस वर्ष की उम्र से ही हम अपने विचारों और कर्मो की वजह से भविष्य का निर्माण करने लगते हैं | 

     

               गाय दूध नही देती ,हमे उसके थन से दूध कों जिस तरह से निकलना पड़ता हैं ,उसी तरह से जीवन में से सुख,आनंद,प्रसन्नता सफलता कों निकालना पड़ता हैं | 

    "एक बार जंगल में कछुआ और खरगोश के बीच रेस तय हुयी |खरगोश ने साफ़ सुथरा ‘थल मार्ग’ चुना और कछुए कों सुझाव दिया |जिसे कछुए ने मान लिया ,दोनों दौड़े ..खरगोश जीत गया |कछुआ अपनी कमजोरी तो जानता था परन्तु वह अपनी मजबूती पर फोकस करते हुए उसने खरगोश कों दूसरी रेस के लिए आमंत्रित किया| दूसरी रेस के लिए उसने जो मार्ग चुना उसमे जंगल-दरिया –जंगल-दरिया –जंगल का क्रम था ,उससे खरगोश भी सहमत हुआ,क्यूंकि पहली रेस में कछुआ भी विना किसी आपति के सहमती दिया था |इस बार कछुआ जीत गया ,अब जंगल के सारे जानवर खरगोश कों चिढ़ाने लग पड़े ...अब खरगोश का जब जीना मुश्किल होने लगा तो वह दुबारा कछुए के पास आया बोला मित्र चलो एक रेस और हों जाए रेसिंग ट्रैक तो वही रहेंगा{ जंगल-दरिया –जंगल-दरिया –जंगल}..किन्तु स्ट्रेटेजी अलग आपकी बार स्थल पर तुम मेरे पीठ पर और जल में मैं तुम्हारे पीठ पर इस प्रकार से दोनों दौड़े दोनों विजेता रहे ,और जंगल के बाकी जानवरो ने दोनों के सम्मान में भोज का आयोजन किये |दोस्तों यह competetion विथ cooperation का जमाना हैं |मिलजुल कर बढ़ने का वक्त हैं |वों जमाना गया जब केवल कछुआ ही हारता था ,अब खरगोश कों कछुए से मिलजुल कर कार्य करना पड़ता हैं"|


         हमारी समस्त समस्याए अल्पकालिक हैं |वे हमारे विकास के लिए हैं |दर्द एक गुरु हैं |नाकामयाबी सफलता की एक चौड़ी सड़क |हमारे चरित्र का निर्माण हमारे जीवन के कठिन अनुभवों से होता हैं | 

     "एक ग्वाला था ,घूम घूम कर मोहल्ले-मोहल्ले दूध बेचता था |एक घर में दूध देने गया हुआ था ,तभी शरारती बच्चों ने हैप्पी सिंह और ट्रेजेडी किंग नामक दो मेढको कों उसके दूध के डब्बों में दाल दिया |हप्पी सिंह तो अवसर की तलाश में लग गया की कब ढक्कन खुले और वह बाहर छलांग लगाये, उसने सुंदर हरि घास पर टिड्डे खाने और मेढकी के साथ अपने रोमांस के सपने देखे जबकि ट्रेजेडी किंग तो सोच लिए की अब उनका अंतिम दिन आ गया हैं,उन्होंने यमराज का विजुलायिजेसन किया और उन्होंने प्रयास भी  नही किया बचने का..दूध में डूबते - उतराते भगवान कों प्यारे हों गए |दूधिया आया , पहला ढक्कन खोला,हैप्पी पहले से तैयार था कूद गया बाहर ,जब उसने दूसरा ढक्कन खोला तो उसमे उसे ट्रेजेडी किंग मरा हुआ मिला ,दूधिये ने उन्को निकाल फेका और दूध बेच दिया |दोस्तों दोनों के लिए एक सामान अवसर और परिस्थितयां थी ,पर सोच और नजरिया अलग अलग था |दोस्तों हैप्पी सिंह बनिये |हर विषम परिस्थिति एक शिक्षक हैं"| 

      मैंने देखा हैं की मेरे अस्पताल में कुछ लोग हमेशा रिएक्ट करते हैं ,सीनियर्स हैं इसलिए उनसे कह नही पाता की “बॉस ! रिएक्ट नही रिस्पोंड कीजिये” | मानव इतिहास में ईर्ष्या,क्रोध ,बदला लेने की भावना मानव के प्रबल शत्रु रहे हैं ,रामायण कों देखें  तो कैकेयी ईर्ष्या का प्रतीक,लक्ष्मण क्रोध के एवं रावण रिवेंज के प्रतीक हैं |सारा मामला क्रोध से शुरू हुआ ,जो हजारों जीवित जीवो कों काल के गाल में ले गया |सबसे बड़ी जिम्मेदारी और टाईम मैनेजमेंट वाले गुणों के कारण हनुमान आदर के सबसे बड़े पात्र रहे ,उन्होंने कर्मठता और बहादुरी से हर बात कों निश्चित समय पर पूरा किया व् जिम्मेदारी ली |रावण ने उनकी पूछ जलाई उन्होंने उसकी लंका |कारपोरेट जगत की भाषा में “ले पंगा ..दे पंगा”|

        अक्सर कुछ लोग बिना वजह इन्सल्ट करते हैं ,ह्युमिलेट करते हैं ,हम पर चिल्लाते हैं |पर दोस्तों हमारी इजाजत के बिना कोई हमारी बेइज्जत नही कर सकता,हम अपने बारे में क्या सोचते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण हैं इस बात की तुलना में की  दुनिया के लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं |यह भी महत्वपूर्ण हैं की हम अपनी क्षमताओं की तुलना में क्या कर रहे हैं ,दूसरों से अपनी तुलना हमे कदापि नही करना चाहिए हमारी दूसरी कापी इस दुनिया में हों हीं नही सकती,हम हरेक व्यक्ति का उदेश्य और धरती पर आने का परपज अलग हैं | 

       हमारे देश में PCR{पालिटिक्स,क्रिकेट और रेलिजन} पर सबसे ज्यादा वक्त खर्च किया जाता हैं |हम बाहरी दुनिया में इतना ज्यादा व्यस्त रहते हैं की खुद से ही नही जुड़ पाते ,जिससे हममे आध्यात्मिक खोखलापंन अंकुरित होना प्रारम्भ करने लगा हैं ,अपने मन और जीवन कों पोषित करने के लिए हमे मौन में बैठना होगा,थोडा बहुत योग और ध्यान में लगना होंगा, ध्यान से रक्त में लैक्टेज का स्तर घटता हैं |ज्यादा लैक्टेज से अनिद्रा व् चिंता होती हैं |ध्यान से DEHYDRO-EPI-ANDRO-STERONE का स्तर बढ़ता हैं जो की ब्रेन की VITALITY का सूचक हैं |ध्यान से ब्लड प्रेसर तथा कोलेस्ट्राल का स्तर कम होता हैं |आर्टेरियो-स्केलेरोसिस का खतरा भी कम होता हैं | 

           आपको अपने जीवन में सबसे ज्यादा संतुलित करने का कार्य आपकी जीवन-संगिनी करती हैं |कोई भी  पति/पत्नी 100/100{HUNDRED OUT OF HUNDRED} तब तक नही हों सकता जब तक आप उसकी छोटी छोटी बातों के लिए प्रसंशा करना नही शुरू कर देते,हर अच्छी बात पर उसका मान बढाईये,उनके मन की सुंदरता पर जाकर जरा देखिये |कभी पत्नी जी ने स्वादिष्ट भोजन पकाएं हों और आप उनकी आँखों में आँखे डाल कर उनकी प्रसंशा में चार शब्द कह कर देखा हैं ?नही न ..आज कह कर देखिये ,{हाँ !झूठी बातों के लिए प्रसंशा नही कीजियेगा }..चमत्कार होने लग पडेंगा ,उनसे इतना ज्यादा सहयोग मिलेंगा,की जिंदगी में आप अब ५००० फुट की बजाय १५००० फुट पर कांफिडेंस से उड़ान भर सकेंगे |{हालांकि मेरी शादी नही हुयी हैं ,यह मेरे बड़े भाईयों/शादीशुदा क्लायिन्ट्स का अनुभव हैं ,की मेरा यह फार्मूला उनके लिए सुपर हिट रहा  हैं ..आशा हैं ..आप सब अपने अनुभव मुझसे शेयर करेंगे }

       जिस तरह स्त्री का गहना उनका मान हैं ,उनका सम्मान हैं ,उनकी देवी रूप में पूजा हैं ,उसी तरह से पुरुष का गहना उनका काम {WORK}हैं |मेरे लिए GODका अर्थ {GO ON DUTY}भी वही हैं जो मेरे सर्वोच्च हित में हैं ,दोस्तों याद रखिये हमारे लिए ईश्वर का स्वरुप वैसा होना चाहिए जो हमारे विकास और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करे,न की दकियानूसी भावनाए,व दिस-इम्पावरिंग विश्वासों एवं कटुता तथा आतंकवाद कों बढ़ाये | 

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एक अस्पताल में एक बोर्ड लगा था ,जिसपर लिखा था “यहाँ एक व्यक्ति आया था ,जिसे कुत्ते ने काट लिया था ,कुछ इंजेक्सन लगे वों ठीक होकर वापस गया”...यहाँ एक व्यक्ति आया था जिसे साप ने काट लिया था ,उसकी बोडी कों जहर से मुक्त किया ,एक हफ्ते में वापस गया ....यहाँ एक व्यक्ति आया जिसे आदमी ने काट लिया था ..वर्षों से उसका इलाज चल रहा हैं आज तक ठीक नही हुआ" ...

क्या आदमी आदमी कों काट सकता हैं ?

....हा ,बुरा बोलकर ,कटु बोलकर ..शब्दों के जरिये जख्म देकर |

इलाज क्या हैं ?

हम ने इसके लिए टीका खोजा हैं ..

.#१ टीका-करन प्रक्रिया


हर सुबह सोकर उठने के बाद और सोने से पहले कई बार मन में दुहराना हैं – 

“Day by Day in everyway i’m getting Better and Better”.

हर  दिन ,हर तरीके से मैं और बेहतर होता जा रहा हूँ ...   

                   एवं


 

मेरी दुनिया में सबकुछ श्रेष्ठ और कल्याणकारी हैं |


काटने वाली बिमारी का समूल नाश करने के लिए आईये संकल्प लें –

“मैं आज से जाने-अनजाने में किसी कों भी नही काटूँगा”..

मान लीजिए .घर से निकलते ही,कुछ दूर चलते ही ..रस्ते में हैं काटने वाले का घर...................... और आपको काट ही लिया उस कमबख्त ने , तब ....

तब आपको रिस्पोंस नही देना हैं ,कोई आर्ग्युमेंट नही करना हैं ,बल्कि खुद के बारे में दो सकारात्मक कमांड मस्तिष्क कों देने हैं |जैसे कोई कहे “डॉ अजय तुम पागल हों “तो मैं कहता हूँ “मैं जानता हूँ की मैं विशिष्ट और सुंदर मस्तिष्क वाला व्यक्ति हूँ ““मैं सकारात्मक चिंतक हूँ ,मेरे विचार हमेशा उच्चतर होते हैं”


.............................................लेखन -डॉ अजय 


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