16 August 2013

"Attitude of Gratitude" तेरा एहसान हैं बाबा ! "stress management"


तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}

आईये सोचिये ...पिछली बार आप कब किसी चीज के प्रति आभार व्यक्त किये थे ?क्या आप अपने जीवन की हर चीज ,हर अच्छी चीज के प्रति कृतज्ञ हैं ?अपनी चमचमाती गाडी या साईकिल,अपने शानदार भवन ,अपने सुंदर डेकोरेटेड आफिस,हर महीने आपके अकाउंट में सैलरी के रूप में आने वाले असीमित पैसे ....परिवारजनों का असीमित प्रेम ..आप किस चीज के लिए ,अभी जल्द हीं कृतज्ञता व्यक्त कियें हैं ?अगर आपके जीवन में ये सब अभी अपार मात्रा में नही भी  हैं तो भी आप कृतज्ञता के माध्यम से इन सबको अपने जीवन में आकर्षित कर सकतें हैं |दोस्तों स्ट्रेस मैनेजमेंट की इस तीसरी कड़ी में मैं आपका दोस्त हाज़िर हूँ ,सर्वाधिक शक्तिशाली यूजफुल इमोशन “कृतज्ञता ज्ञापन” कों लेकर ,जो हर हाल से हमारी परिस्थिति कों मनचाही अवस्था में ले जायेंगी |
 हम मनुष्य लोग सामाजिक जीव हैं ,हमारी एक individual पहचान होने के साथ साथ एक सामाजिक पहचान भी हैं |
जब हम किसी चीज के प्रति कृतज्ञ होते हैं ,तो उसे प्रेम देते हैं |हमारा रोम रोम बहुत ही सकारात्मक प्रेम उर्जा से भर जाता हैं ,और दोस्तों हमारे एहसास के अनुसार हमारी फ्रीक्वेंसी बदलती हैं ,और हम उस फ्रीक्वेंसी पर मौजूद अन्य लोगो कों आकर्षित करते हैं |यही कारण हैं की जब हम प्रेम महसूस करते हैं तो हमारे जीवन में हर अच्छी चीज की {वांक्षित} बाढ़ सी आ जाती हैं जबकि जब हम प्रेममय  नही होते तो हमारे जीवन में अवांक्षित चीजे बढ़ने लगती हैं |
 रहोंदा बर्न ‘द पावर’ में  लिखतीं हैं “किसी ऐसी चीज या व्यक्ति के बारें में सोंचे ,जिसके लिए आप कृतज्ञ हों सकते हैं |आप उस व्यक्ति कों चुन सकतें हैं जिसे आप दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं |उस व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित किजीयें और उन सभी चीजों के बारे में सोंचे ,जिनकी वजह से आप उससे प्रेम करते हैं और जिनके लिए आप कृतज्ञ हैं |फिर मन ही मन या बोलकर उस व्यक्ति कों उसकी वो सारी विशेषताएं बता दें जिनके लिए उसे प्रेम करते हैं और कृतज्ञ हैं ,वह व्यक्ति वहाँ हों या न हों ,तब भी आप उसे वैसे ही बताएं जैसे वह वहीँ पर हों |और बताते समय आप महसूस किजीयें की कृतज्ञता की भावना हमारे हृदय और शरीर में भर रहीं हैं”|इस सरल अभ्यास से आप जो प्रेम देतें हैं वह निश्चित रूप से उस सम्बन्ध और आपके जीवन में लौटकर आयेंगा |
  मैं अक्सर खुद से कहता रहता हूँ “मेरा मस्तिष्क बहुत  प्रबल सामर्थ्यवान हैं,दुनिया के किसी भी सुपर-कम्प्यूटर में इसकी बराबरी की औकात नही , इसके लिए मैं उसका शुक्रिया अदा करता हूँ ,मेरा इम्यून सिस्टम इतना प्रबल हैं की मुझे याद नही पड़ता की पिछली बार मैं कब बीमार पड़ा था ,मैं अपने प्रतिरक्षा तन्त्र के प्रति एहसानमंद हूँ,जो रोंगो के प्रति अभेद बैरियर हैं |अपने शरीर के हर अंग के प्रति एहसानमंद हूँ जिनकी हीलिंग पावर अदभुत हैं |मैं हर उस चीज के लिए एहसानमंद हूँ जो विभिन्न श्रोतो से मुझतक आ रहीं हैं,मैं उस अपार धन के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जो विभिन्न श्रोतो से मुझतक आ रहा हैं ,मैं अपने बिलो कों जमा करते वक्त हमेशा उस पैसे कों आशीर्वाद देता हूँ  की “वह पैसा ....भूखो कों भोजन दें,फटेहालों कों कपड़ा दें और कई गुना होकर मुझ तक लौटें “उस पानी के लिए एहसानमंद हूँ जो मैं पीता हूँ ,उस भोजन के प्रति एहसानमंद हूँ जो मैं खाता हूँ |इस सुंदर पृथ्वी पर उपस्थित हर खूबसूरत नियामतों के लिए मैं बहुत एहसानमंद हूँ” |

 राधेश्याम नामक मरीज़ ICU के बेड नॉ २४ में भर्ती हुआ था |उसको ब्रेन ट्यूमर था |डाक्टरों के सर्वाधिक एजुकेटेड न्यूरो-सर्जनो के एक समूह ने मीटिंग के बाद उसके घरवालों से मिलकर तय किया की आपरेशन तो वे करेंगे पर मरीज के बचने की संभावना बिलकुल नही हैं |राधेश्याम एक नौटंकी कंपनी का प्रसिद्ध जोकर था ,अपने अंतिम समय में {जैसा डाक्टरों ने कह दिया था} भी वह हँसता –हंसाता रहता था |एक दिन संयोग से उस तरफ से एक न्यूरो डाक्टर के सह्योंगी के रूप में मेरा उसके बेड पर जाना हुआ ,मैंने महसूस किया की राधे  ऐसा व्यवहार कर रहा हैं जैसे उसे कुछ हुआ ही नही हैं ,तभी मेरे दिमाग में यह कौंधा की ‘यह ठीक हों जायेंगा’ मन में आया की इससे बात करूं ,क्यूंकि मेडिकल साईंस की अपनी एक सीमा हों सकती हैं ,किन्तु मेटाफिजिकल साईंस और क्वांटम फिजिक्स असीम विचार धारा की ओर ले जातें हैं .क्वांटम फिजिक्स तो यहाँ तक कहता हैं की “उस किसी भी चीज की आप कल्पना तक नही कर सकते जिसका अस्तित्व न हों” |मैंने सोचा की अगर मैं यह सोच रहा हूँ की राधे ठीक हों सकता हैं ,तो जरुर इसकी सम्भावना जरुर इस ब्रम्हांड में हैं |मैंने उसके घर वालों से बात की और उनसे कहा की वे राधे कों पूरा विश्वास दिलाएं की वो ठीक हों चुंका हैं ,उसे बार बार उस वक्त की याद दिलाएं जब वो बिलकुल मस्ती में झूमता रहता था ,उसे रोजाना अपने स्वास्थ्य ,अपने सुधरते मस्तिष्क के प्रति एहसान मंद होना हैं,जो भी फल .जल भोजन ,दवाए वो ग्रहण कर रहा हैं सब उसके लिए अत्यन्त यूजफुल हों रहीं हैं ,उन सब के प्रति उसे एहसान मंद होना हैं |दिन में कम से कम दो बार वो ऐसी कल्पना करें की वह विल्कुल ठीक होकर इस अस्पताल से जा रहा हैं |सभी डाक्टर ,जो उसके जिंदादिली के मुरीद हैं ,जिनमे मैं भी हूँ ,बधाईयां दे रहे हैं” |ठीक  ४थें  महीनें हम सभी लोग राधेश्याम के साथ अस्पताल के बाहर वाली दूकान पर काफी पी रहें थे और खिलखिला रहें थे |

अपने अनुभव से मैं ये जानता हूँ की बुरी से बुरी स्थितियों कों लोगो ने कृतज्ञता के माध्यम से बदला हैं |ऐसी बीमारियाँ जिनके ठीक होने की सम्भावना नही थी लोगो ने कृतज्ञता के माध्यम से जाने-अनजाने में ठीक किये हैं |टूटे रिश्ते जुड़े हैं |जिंदगियां संवरी हैं |
कृतज्ञता,स्ट्रेस का समूल नाश करती हैं ,हमारे जीवन में जो कुछ भी नियामतें हैं जब हम उनके प्रति कृतज्ञ होना शुरू कर देतें हैं ,तो हमारी भावनाएं बदल जाती हैं ,हमारी फेक्वेंसी बदल जाती हैं ,हम स्ट्रेस फुल कंडीशन से बाहर आकर सकारात्मक और प्रेममय हों जाते हैं ,विश्व के हर मसीहा ,हर धर्म-स्थल पर,हर आरती में ,हर प्रार्थना में कृतज्ञता कों मुख्य टूल की तरह होना होता हैं ,क्यूंकि कृतज्ञता से शक्तिशाली इमोशंस शायद हीं हों |

हमे जीवन में निम्न ३ प्रकार से कृतज्ञ होना चाहिए –

१]अतीत में जो भी नियामतें मिली हैं ,उनके प्रति एहसानमंद होना और ह्रदय से महसूस करना हैं |
२]वर्तमान की समस्त नियामतों के लिए एहसानमंद और हृदय से आभारी होना हैं |
३] भविष्य में जीवन में हमारी जो भी आपेक्षाएं हैं,उनके प्रति इस तरह से कृतज्ञ होना हैं जैसे वो पूरी हों गयी हों |
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दोस्तों ..हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया उसने कुछ लोगो कों मदर टेरेसा पर आधारित एक फिल्म दिखाई और लोगो कों उस विषय में कागज पर अपने विचार लिखने कों कहा...
कुछ लोग जिन्होंने फिल्म देखने के बाद पोजिटिव प्रतिक्रिया दी थी उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी हुयी पायी गयी |
कुछ लोग जो उदासीन रहें ,उनकी प्रतिरोधक क्षमता पहले जैसी ही रहीं ..|
कुछ लोग जिन्होंने निगेटिव रिस्पोंस दिए उनकी प्रतिरोधक क्षमता घट गयी थी |
तो आपको अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए कौन सा टोनिक पीना हैं..झंडू या केसरी जीवन.... ,
कोई भी नही.........सब बेकार हैं,उस फार्मेसी के आगे ..जो प्रकृति ने हममे बनायीं हैं  |
बस सकारात्मक रिस्पोंस की आदत डालनी हैं .........
{photo source -shown in fig.}


                  लेखन –डॉ अजय यादव 

14 August 2013

प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं|

Stress Management  लेख से सम्बंधित अगली कड़ी पेश करते हुए ,मैं अजय आप सब से ...स्वीकार करता हूँ ,की मैं खुद दिन रात भयानक  स्ट्रेस के माहौल में काम करता हूँ लेकिन मैं स्ट्रेस कों खुद पर बिलकुल हावी होने  नही देता |स्ट्रेस और तनाव जीवन के लिए वरदान भी  हैं...वो कहतें हैं न "शांत समुंद्र में नाविक कभी कुशल नही बन सकता" 'रामधारी सिंह' ''दिनकर'' की एक कविता की चंद पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं -

मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं

स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटती हैं .

हौंसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर !

ठोकरें इंसान कों चलना सिखाती हैं |

स्ट्रेस कों हद से ज्यादा नही बढ़ने देना हैं... नही तो यह भिन्न भिन्न रूपों जैसे क्रोध,अवसाद,चिडचिडापन,माईग्रेन आदि के रूप में हमे सताता हैं |आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया हैं की "हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका हमारे एक-एक विचार के अनुसार ....और उस विचार के एक एक शब्द ...के तदनुसार अपनी प्रतिक्रिया देती हैं |यहीं नही हर विमारी के पीछे कुछ न कुछ मानसिक कारण जरुर होते हैं चाहे वह खुद कों प्यार न करना हों,खुद कों अप्रूव न करना,खुद कीसीमाएं  बाधना हों ,खुद कों किसी न किसी तरह से दोयम दर्जे पर रखना हों ,घृणा हों या हीन भावना हों या गिल्ट हों |गिल्ट तो बिलकुल यूजलेस इमोशन हैं ,यह न तो किसी कों बेटर फील करा सकती  हैं ,न ही सिचुएशन बदलने देती  हैं |
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स्ट्रेस मैनेजमेंट पर हजारो आर्टिकल हैं |स्ट्रेस से निपटने का मेरा अपना तरीका अलग हैं |उन तरीकों में से एक प्रेम पर आईये कुछ बातें करें-
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हम सभी इस असीमित संसार और श्रृष्टि की असीमित हस्ती हैं |इस संसार में लगने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात नियमों में आकर्षण का नियम एक प्रमुख नियम हैं ,जो हमसे कहता हैं की 'इस संसार में लेंन-देंन{आदान-प्रदान } के लिए हमारे सिवा कोई और हैं ही नही'.|
हम इस ब्रम्हांड कों.. जो भी ...हम  देते हैं वह हमे ब्याज सहित लौटा दिया जाता हैं |हम सभी मानव हैं ,हमारा अस्तित्व ही प्रेम के सायें में पलता हैं ,फिर क्यूँ न प्रेम देना शुरू करे ,हमे जीवन से असीम प्रेम करन अभी से शुरू कर देना  हैं ,जब हम जीवन से असीम प्रेम करना शुरू कर देते हैं तो इस दुनिया की हर सीमा गायब हों जाती हैं |धन ,स्वास्थ्य,आनंद और संबंधो में मौजूद खुशी की हर सीमायें अपना अनंत तक विस्तार करतीं हैं |सारे प्रतिरोध खत्म |हम असीमित उर्जा ,रोमांच और जीवन उर्जा के सागर में डूब जातें हैं |

प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं :-

कैसे हम अपने जीवन की हर पसंदीदा वस्तु से प्रेम करें ?जब हम किसी व्यक्ति के साथ प्रेम में होतें हैं तो सिर्फ प्रेम देखतें हैं,प्रेम सुनते हैं ,प्रेम बोलतें हैं पुरे दिल से सिर्फ प्रेम और प्रेम ही महसूस करते हैं |
हर स्थिति ,परिस्थिति और घटनाओं में हमे अपनी प्रिय चीजों की ही तलाश करनी हैं ,सुंदर सड़के ,सुंदर इमारते ,अच्छी कारें ,अच्छी टेक्नोलाजी जो भी हमे पसंद हों ,हमे हमेशा तलाश करनी चाहियें |मेरी पसंद बुलेट मोटरसाईकिल हैं ,जब भी मैं शहर निकलता हूँ तो उसी पर सवारी करता हूँ ,मुझे अच्छे विचारों वाले लोग प्रिय हैं ,उनसे मिलता जुलता हूँ |अपने प्रिय स्टोर्स कों खोजता हूँ |प्रकृति के सामीप्य में,उसकी रंगत ,पेड़,सुंदर फूल ,सुगंध की तलाश करता हूँ ,न केवल अपनी प्रिय चीजे/लोंगो की तलाश करता हूँ वल्कि उनसे अतिशय प्रेम भी प्रदर्शित करता हूँ |
मेरे मन में हमेशा एक सूची रहती हैं ,उन वस्तुओ ,जगहों ,चीजों की जिनसे मैं बहुत प्रेम करता हूँ ,यह सूची लगातार अपडेट होती रहती हैं |कभी कभार ऐसी परिस्थितियाँ या लोग मिल जाते हैं ,जिनसे मुझे कुछ पल के लिए अच्छा महसूस होना बंद हों जाता हैं तो मैं अपनी सूची पर गौर करता हूँ और फिर से अच्छा महसूस करने लगता हूँ |

   प्रेम भरी इस दुनिया में जीते जीते मैंने महसूस किया हैं की प्रेम में मैं सजग हों गया हूँ ,अब गुलाब के गमले के बगल से यूँ ही.. नही निकल लेता ,अब उसमें खिले ताज़ा लाल पुष्प का सौंदर्य और सुगंध मेरे मन कों प्रेम से भर देता हैं ,अब मैं भोजन कों पुरे स्वाद और कृतज्ञता से ग्रहण करता हूँ ,जिससे भोजन कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होकर पोषण देता हैं |अब बारिस में मुझे जुकाम नही होता बल्कि ठंडी-ठंडी फुहारे जीवन उर्जा कों जगाती हैं |मेरा मन मेरे जीवन की हर अच्छी चीज की खोज के प्रति निर्देशित हैं |
अक्सर मेरे मन में एक विचार उठता हैं.... मैं ऐसा क्या देख ,सुन और महसूस कर रहा हूँ जो मुझे रोमांचित कर रहीं हैं ,खुशी ..आनंद उर्जा से सराबोर कर रहीं हैं ,मन तुरंत अपने काम में लग जाता हैं और ऐसी परिस्थितियो ,लोगो कों खोज खोज कर मुझ तक लाता हैं |प्रेम का तो मेरा बहुत ही शानदार अनुभव रहा हैं ,दोस्तों अंत में मैं सिर्फ इतना कहूँगा ..की अगर हम जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में नहीं लेंगे तो यह जीवन हमे नियंत्रित करने लगता  हैं ,और हम गुलाम बनने के लिए थोड़े पैदा हुयें हैं |
लेखन  - Dr.Ajay Yadav





13 August 2013

चिंता{stress} चिता सामान हैं ..!


अक्सर दुनिया में जब कोई हमारे मन मुताबिक कार्य नही करता तो हमे stress होने लग जाता हैं ,चाहे भीड़ भाड़ में ,ट्रैफिक से stress हों या दोस्तों से बात-चीत के दौरान |आज इस लेख में हम सिर्फ इतना जानेंगे की stressसे नुक्सान क्या क्या हैं ?आज सिर्फ इसी पर हम आपसे चर्चा करेंगे |
 हमारे घरों में बिना वजह के stress क्रियेट करने का मुख्य कार्य टीवी करता हैं |टीवी यानी बुद्धू बक्सा brainकों निष्क्रियता की राह दिखाने के साथ साथ समझने की क्षमता {काग्नीटिव स्किल्स}भी  कम करता हैं ,मेरे निजी विचार से,ऐसे घर में जहां स्कूल या कालेज गोइंग युवा ज्यादा हों ,उस घर में टी वी होना ही नही चाहिए क्यूंकि समाचार चैनेल्स अब निष्पक्ष राय नही देतें |


  जब ज्यादा stressहोता हैं तो नींद कम आती हैं ,जिससे किसी चीज पर concentrate करने की क्षमता कम हों जाती हैं |
Stress जब बढता जाता हैं तो brain सेल्स में Glutamate Receptors बढ़ने लगता हैं ,जो की Brainके कार्यों कों अवरोधित करने के साथ साथ brainसेल्स की मृत्यु के लिए भी जिम्मेदार हैं |
बढते तनाव से “लडो या भागो” हारमोन स्रावित होता हैं |बैज्ञानिको ने पाया हैं की Hydro-corticosone ,मष्तिष्क के हिप्पोकैम्पस कों डैमेज करता हैं |’हिप्पोकैम्पस’ याद शक्ति और सीखने का सेंटर हैं |hydrocorticosone के ज्यादा श्रावण से brain साईज घटने का खतरा रहता हैं |
तनाव में कुछ neurotransmitter जैसे नोरेपिनेफ्रिन या सीरोटोनिन भी  स्रावित हों सकते हैं |जो तीक्ष्ण विचार शक्ति कों बढ़ाते हैं ,परन्तु ज्यादा यूज होने पर इनका भंडारण  खतरे में पड जाता हैं |
 अब बात करें दवाओ की तो जान लीजिए  की एस्पिरिन जो की सभी द्वारा universally accepted सुरक्षित दवा मानी जाती हैं ज्यादा मात्रा में brainके लिए poison का कार्य करती हैं |कुछ potentially toxic या poisonous drugs में BARBITURATES,Bromides,Benzodiazopama,phenothiaz,Haloperidol,lithium आदि मस्तिष्क के लिए जहरीली हों सकती हैं |
नीद लाने के लिए खाने जाने वाली दवाए stress कों रिमूव करने के लिए  alprazolam या trika सरीखी दवाएं रेगुलार लेते रहने से इनकी habbit पड़ने की आशंका रहती हैं |कई परिस्थितियों में ये दवाए रोगी के लिए वरदान भी सिद्ध होती हैं |
मैं तो वही कहूँगा जो गोल्फ के महान खिलाडी “बेन होगांन” ने कहा था...

 “जैसे-जैसे आप जीवन की राह में आगे बढते जायेंगे ,आपको रास्ते के गुलाबों कों जरुर सूंघना 


चाहिए ,क्यूंकि यह बाज़ी सिर्फ एक बार आपके हाथ में आई हैं” |





note:-यह लेख तनाव पर लिखे जाने वाले लेखो की श्रृंखला में एक कड़ी हैं , लेंखो में वर्णित दवाओ  और सलाह हर व्यक्ति के लिए भिन्न भिन्न हों सकती हैं,आप अपने डॉ से संपर्क किजीयें |


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