10 August 2013

कुछ कहना हैं तुमसे .............

 
 
 
 
 
 
 
मेरी शुभकामनाएँ....
मेरी दुवाये .......
मेरी सदभावनाएँ....
हमेशा तुम्हारें  साथ हैं ,
 तुम कहती हों  ...मैं तुमको इत्ता नही जानता ...
लेकिन मैं हर सच्चे इंसान कों जानता हूँ ,
जिनके मन में खुसबू होती हैं ,
जो जाति/धर्म/लिंग-भेद
की हर सीमा से उपर ...सोचते हैं |
वरना आज किस लड़की कों
इतनी फुर्सत हैं ......
की वह सुदूर बैठे ,एक मित्र कों
अपनी कविता सुना सके ....
अपने जज्बात बता सके |
निश्चल मन से विश्वास कर सकें
तुम कविता लिखती हों  |
तुम अपनी कविता में सारा दर्द उतारो...|
लिखो और नोटबुक बंद कर दो.........
******************************

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 हर सुबह,जिंदगी नई हैं .....
उठो ताज़ी,हवा खींचो लग जाओ ...
नई परिभाषाये गढ़ने में ...
नई सफलता गढ़ने में....
तुम्हारा वजूद और तुम ....दोनों .
किसी के विचारों के मोहताज़ नही ,|
किसी बवंडर में हिल नही सकते ..
ऐसी किसी बवंडर की औकात नही ||
किसी के तुच्छ ख्यालात ...
तुम्हारे पैरों की बेडी बन गए ??
तुम्हारे मन में इतनी कमजोरी....
संगदिल पत्थर देवता बन गए ??
उस पल का इन्तेजार हैं ..
जब कायनात ...फिर झूमेंगी ,
तुम्हारी रंगत नई नवेली दुल्हन सी होंगी ...
बादलों में बिजलियाँ चमकेंगी |
मनो में अरमान कौधेंगे ..
करके श्रृंगार धरा ,नव पल्लवन ...
नव सुंदर सृजन करेंगी |
तुम खिल-खिलओंगी हंसोंगी,गाओगी .
सब उन खुशियोँ में खों जायेंगे .......
सुर में सुर मिलायेंगे ......
 

9 August 2013

लाल गुलाब और पहली डेटिंग

स्नेहा शर्मा  मेरी फेसबुक मित्र और  माईंड पावर ट्रेनर हैं  , उनसे फेसबुक पर चैटिंग करते दो बरस बीत गयें हैं , वें  बहुत ही सकारात्मक मित्र  हैं, मैं काफी दिनों से उनसे कुछ अच्छा सीखने की उम्मीद कर रहा था और मिलने का आग्रह भी | आज इलाहाबाद का यमुना तट, सरस्वती घाट और हजारो जलती रोशनियां हमारी पहली डेटिंग के गवाह बनने वाले थे | मैं अपनी आदत के मुताबिक तयशुदा समय से पहले ही आ गया था | हेलों डियर  ! सुनकर मैं चौका, वह इसी नाम से मुझे चैटिंग के दौरान संबोधित करती थी | आवाज की दिशा में मैं मुड़ा तो काले रंग का खूबसूरत  सूट पहने एक बेहद खूबसूरत लड़की को अपनी ओर आते देखा, यह स्नेहा थीं ..आँखों में चमक … चेहरे पर ओज लालिमा थी व त्वचा दमक रहीं थी | सुंदर घने काले बालों का गुच्छा उनके चेहरे पर चार चाँद लगा रहा था | उस खुबसूरत लड़की कि उपस्थिति ने जैसे पुरे कायनात की गतिविधियो को रोक दिया हों |
प्रिय  ! आज हमारी पहली डेटिंग हैं जिसे हमे यादगार बनाना हैं, मैंने कहा, “बिल्कुल ! आओ तुम्हे आईसक्रीम  खिलाऊ” | 'नही खाती मैं यह सब'.. कहकर स्नेहा ने अधिकार पूर्वक ढंग से मेरा हाथ पकड कर सीढ़ियों कि ओर चल पड़ी, सीढ़ियों पर चलते चलते अचानक वह रुक गयी और उसने अपने जेब से एक लाल खुबसूरत गुलाब निकाला और मेरी तरफ बढा दिया .. मैं हतप्रभ था|
 एक खूबसूरत लड़की से इसकी आशा इतनी जल्दी नही कर सका था | सुनों मेरे गुरु कहते हैं  “इस पुष्प के केन्द्र/हृदय में टकटकी लगाकर देखो, यह लाल पुष्प जीवन की तरह हैं | इसको पाने के लिए तुम्हे राहों में काटें मिलेंगे किन्तु ध्यान रहे, तुम फूलो की तलाश में निकले हों, यदि तुम्हे अपने सपनो पर भरोसा व विश्वास हैं तो तुम कांटो से आगे बढकर फूलो का बैभव प्राप्त कर लोंगे | इसका रंग, बनावट …डिजाईन ध्यान पूर्वक देखो | इसकी सुगंध का रसपान करों और जो आश्चर्य जनक चीज तुम्हारे सामने हैं सिर्फ उसी के विषय में सोंचो, इसी तरह से तुम रोज एक गुलाब का पुष्प लेकर मस्तिष्क को शक्तिशाली व अनुशासित बना संकोंगे” |
मैं उस परी के गुलाबी होंठो से ज्ञान गंगा फूटते देखता रहा, मैं अब भी पूरी तरह से उसके सौंदर्य के प्रभाव में था | प्रिय  ! तुम्हारे लिए परिवर्तनशील संभावनाओं से संपन्न जीवन जीने के लिए अपनी क्षमताओं के प्रति मस्तिष्क को सजग रखना होंगा और इसके लिए ढृढ़ इरादा करना होंगा …
"क्या मतलब" ? मैं बोला |
आओ घाट पर चलते हैं, मैं जैसा करती हूँ तुम जब आवश्यक समझना तभी विरोध करना, अपना दिमाग खाली रखो, यदि मुझ पर विश्वास हों और कुछ सीखना हों तो, मैंने सहमती में सिर हिला दिया
      ..घाट के पास पहुँचते ही, जल के आचमन के बाद उसने मेरा सिर पानी में डुबो दिया मैं हतप्रभ किन्तु मैंने उसे ऐसा करने दिया तबतक जबतक कि मेरी सांस नही टूटने लगी ..मैंने एक झटके से सिर बाहर निकाला और जोर जोर से साँसे लेने लग पड़ा |
तुमको अब पता चल गया होंगा कि सांस लेने के लिए तुम्हारा इरादा १००% पक्का हैं | इस पर ध्यान दों की तुम सांस न लेने के लिए कोई बहाना नही बनाओंगे, ध्यान दो कि तुम सांस लेने के लिए कोई प्रेरणा का इन्तजार नही करोंगे, ध्यान दो की तुम साँस लेने की अपनी इच्छा को सही ठहराने कि जरूरत नही महसूस कर रहें होंगे, तुम केवल साँस लोंगे |
यही बात तुम सीधे सीधे नही कह सकती, क्या पानी में डुबोना जरुरी था? मैंने कहा
 तो स्नेहा ने जवाब दिया .".हाँ डियर ! तुम्हे सही तरह से समझाना जो था" |
पक्के इरादे का मतलब हैं – कार्यवाही करना,
कोई बहाना नही, कोई लंबी चौड़ी जांच परख नही, यह कितना कठिन हैं, इसकी कोई चिंता नही, कोई डर कर पीछे हटना नही, केवल और केवल आगे ही बढ़ना….
क्या होंगा अगर कोई तुम्हे, तुम्हारे पक्के इरादे से रोंके ??
म्मम्मम…….
क्या होंगा अगर कोई तुम्हे साँस लेने से रोंके ?
मैं उस दुष्चक्र को तोड़ दूँगा,
क्यूंकि ... “जीवन का उद्देश्य ही उदेश्य पूर्ण जीवन हैं” |एक बार माईंड ट्रेनर श्री राबिन शर्मा की क्लासेज में सीखा था |
स्नेहा के साथ साथ चलते चलते अब हम नए यमुना पुल पर आ चुके थे नीचे शांत, धीर, गंभीर असीम सौंदर्यवती यमुना जी करोडो प्रकाश पिंडो की रौशनी में पुलकित किन्तु ध्यान मग्न थी | स्नेहा ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और बोलीं, “तुम्हारे जैसे सकारात्मक चिंतक के साथ मेरी पहली डेटिंग हैं डियर, तुम बहुत हैंडसम हों वह तब तक इसी तरह से बोलती गयी जब तक मेरे गाल सुर्ख नही हों गए ..ठंडी हवाए स्लो मोशन में छू छू कर निकल रहीं थी अंतर्मन पुलकित और रोमांचित था …अपार उर्जा ,उत्साह ..अलौकिक वातावरण का बोध हों रहा था |मैंने कहा, “आज का यह समय जो हम और तुम साथ साथ बिता रहें हैं एक उपहार हैं मेरे लिए”जिंदगी का  |
'देखो डियर  मस्तिष्क एक उपजाऊ जमींन की तरह हैं और यह फले फूले इसके लिए तुम्हे इसका प्रतिदिन पोषण करना चाहिए, अपवित्र विचारों और कार्यों की जंगली घास को अपने मस्तिष्क में मत जमने दों ! अपने मस्तिष्क के द्वार पर पहरा दों | इसको स्वास्थ्य एवं मजबूत रखों | यह तुम्हारे जीवन में अलौकिक कार्य करेंगा'उसके लबों की जुम्बिश कों मैं देखता गया,उसी खूबसूरत चेहरे  में खोता गया' |
यह कहकर स्नेहा मेरे करीब आ गयी ..मधुर मुस्कान के साथ अपलक मेरे आँखों में झाकने लगीं वह एक शब्द भी नही बोल रहीं थी बस पूरी तल्लीनता से आँखों में ही झांके जा रही थी, कुछ ही पलों में मुझे ऐसा लगा की मेरा हृदय कमल खिल रहा हैं, पल्लवित हों रहा हैं |मुझे उसी तरह के सुख और सुरक्षा का एहसास हुआ जैसे बचपन में माँ के स्नेह पूर्वक आलिंगन से होता था | सीधे मेरे हृदय से आवाज़ आई .”स्नेहा क्या देख रहीं हों ? बड़ा अनोखा अनुभव हों रहा हैं” ,.! डियर मैं तुम्हे अपना प्रेम भेज रही हूँ, एक मानव के रूप में तुम्हारी एक एक बात के लिए ..मेरा हृदय तुम्हारे हृदय से सीधे बात कर रहा हैं |

तुम्हारे लिए प्रिय !..यह मेरा सबसे बड़ा उपहार हैं, यह कहकर नम आँखों से, स्नेहा ने मुझे चूम लिया | देखो  इस दुनिया को तुम जैसे जिम्मेदार, समझदार और स्नेही लोगों कि बड़ी आवश्यकता हैं डियर,! 
            हम सभी यहाँ पर किसी विशेष उदेश्य से आये हैं, अपने हृदय के अनुसार जियो यह कभी झूठ नही बोलता
               जोसेफ कैम्पबेल ने कहा हैं, “अगर तुम अपने हृदय के परमानंद का अनुसरण करते हों तो ऐसा करके तुम स्वयम को ऐसे मार्ग पर ले जाते हों, जो हमेशा तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहा हैं और फिर तुम्हारा जीवन विल्कुल वैसा ही हों जाता हैं जैसा वास्तव में होना चाहिए | उस स्थिति में तुम्हे ऐसे लोग मिलने लगते हैं, जो तुम्हारे परमानंद के क्षेत्र में होते हैं और फिर से तुम्हारे लिए अपना दरवाजा खोल देते हैं” |
"वाह ! क्या बात हैं", मैंने कहा |
देखो डियर भौतिक विज्ञानं के अनुसार, "यह 3D ब्रम्हांड हैं, यानी यहाँ हम जो कुछ भी बाहर निकालते हैं, वों वापस आ जाता हैं, अगर हम सकारात्मक सोचते हैं तो सकारात्मकता आती हैं और इसका उल्टा भी उतना ही सत्य हैं | इस ब्रम्हांड का निर्माण द्रव्य और उर्जा से ही हुआ हैं | हमारी सोच भी एक उर्जा हैं, विचार को शक्तिशाली जीवित वस्तुए समझो, ये भौतिक सन्देश वाहक हैं जिन्हें हम अपनी भौतिक दुनिया को प्रभावित करने के लिए भेजते हैं और सामान वस्तुए एक दूसरे कि ओर आकर्षित होती हैं | तुम्हारे विचार चुम्बक हैं जो सामान गुणधर्म वाली वस्तुओ को उसी तरह आकर्षित करती हैं जैसे सामान गति से कम्पन्न करने वाली वस्तुए एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती हैं" |


'फेसबुक में चैटिंग के दौरान तुम सुबह कुछ लिखने जैसा कह रही थी' ..
यह लिखना-उखना क्या हैं ? मैंने अधीरता से पूछा |
"पढ़ाकू तुम रोज सुबह ५ प्रश्नों के उत्तर लिखो, फिर देखो, आँखे मटकाती वह बोली" ! 
'क्या मतलब क्या' ….कक्क क्या ?...मैं बोल पड़ा .|
इससे तुम्हे व्यापक सफलता मिलेंगी |
पहला प्रश्न हैं, अगर पता चल जाये कि यह मेरे जीवन का अंतिम दिन हैं तो मैं इसे किस प्रकार से बिताऊंगा ? दोस्तों पड़ोसियों रिश्तेदारों आदि के प्रति कैसा व्यवहार करूँगा ?
और खुद के प्रति ? मैंने पूछा |
अपने सर्वोत्तम गुणों वाले नायक के साथ जैसा व्यवहार करते डियर, वैसा खुद के साथ हमेशा व्यवहार किया करों |
दूसरा प्रश्न हैं, जीवन में मुझे किसके प्रति कृतग्य होना चाहिए ?
मैंने कहा, “कृतज्ञता जीवन में अच्छी चीजों को कई गुना बढ़ाने का सर्वोत्तम तरीका हैं”?
तीसरा प्रश्न हैं, अपने जीवन को विशिष्ट /असाधारण बनाने के लिए कौन सा कार्य आज मैं कर सकता हूँ ?
चौथा, आज मैं किसी जरूरत मंद कि मदद कैसे कर सकता हूँ ?
और पांचवा, आज के दिन को उल्लास/आनंद के साथ जीते हुए हर पल को उत्सव में कैसे बदल सकता हूँ ?
ध्यान रखो, तुम्हारा I CAN तुम्हारे I.Q. से अधिक महत्वपूर्ण हैं |
रात्री के ९ बज चुके थे हम वापस अपनी कारों कि तरफ बढ़ रहे थे | हाथ मिलाने के लिए उसने हाथ बढ़ाया तो मैंने उसका हाथ धीरे से दबा दिया और कहा, एक चीनी कहावत याद आ रहीं हैं,
बोलो डियर ……
मैंने कहा,
 “जो हाथ तुम्हे गुलाब के फूल प्रदान करते हैं उनमे थोड़ी सुगंध हमेशा 

लगी रह जाती हैं”|




{इस लेख के लिए अपने शिक्षक  श्री रोबिन शर्मा  का आभार व्यक्त करता हूँ }

7 August 2013

Mind की पावर Boost करने के लिए Diet



          Mind की पावर Boost करने के लिए Diet

MIND हमारे शरीर के अंगों से सीधा जुड़ा होता हैं |यह HEART से BLOOD ग्रहण करता हैं ,तथा blood से nutrients तथा आक्सीजन |मस्तिष्क के लिए सबसे ज्यादा शक्तिशाली खुद कों सकारात्मक आत्मसुझाव  देना हैं ,अर्थात अपनी कार्यक्षमता ,शक्ति और खुद से जुड़ी अच्छी बातों के लिए जिससे हम प्रेम करतेहैं , खुद को बार बार याद दिलाते रहना हैं |दूसरी खास बात हैं ,खुद कों selective बने रहने  का प्रशिक्षण देना |दुनिया में अच्छाई {प्रेम,करुना,दया,समृद्धि..इत्यादि },बुराई {नफरत,क्रोध ..इत्यादि .}दोनों हैं |हमे अपने हार्ड डिस्क कों अच्छाईयों से भरना हैं |अच्छाईयों के लिए सेलेक्टिव होना हैं,बुराईयां खुद ब खुद चली जायेंगी जैसे अँधेरे के नाश के लिए दिया जलाते हैं उसी तरह से   |अक्सर लोग brain power कों  boost करने के लिए भोजन के संदर्भ में  मुझसे सलाह मांगते हैं |लिहाजा यह पोस्ट मैं लिख रहा हूँ |

 फलो व सब्जियों में antioxidants एवं minerals होते हैं ,इनमे पर्याप्त मात्रा में fibres एवं  vitamins होते हैं |vitamin C अत्यन्त प्रबल antioxidants हैं |मस्तिष्क में इसकी ज्यादा मात्र होती हैं,और यह  neurotransmitter खासकर  dopamine के निर्माण में भाग लेता हैं |vitamin E कों mother of all antioxidants कहा जाता हैं ,यह mineral selenium के साथ खाने पर  stress कम करता हैं |fibers आन्त्रो कों साफ़ कर  उन्हें constipation से मुक्त रखता हैं जिससे vital energy बढती हैं ,और mind power boost होती हैं |

 brain का food केवल glucose हैं |जो खासकर अंगूर,गुड़,चुकन्दर dry fruits आदि में होता हैं | जब blood sugar level कम हों जाता हैं ,तब brain के functions बहुत slow हों जाते हैं |blood sugar के normal होने पर clarity of thought {विचारों की स्पष्टता }बढ़  जाती हैं |भोजन में यदि आप fat{चर्बी ,घी ,तेल ...}की मात्रा कम लेते हैं,तो ज्यादा बेहतर रहता हैं क्यूंकि जिस blood में fat की मात्रा ज्यादा होती हैं ,वो बेहतर circulate  नही कर पाता और blood circulation का बेहतर  level, hypothalmus,pituitary के function कों improve करता हैं ,हालाँकि गाय का घी इसका अपवाद हैं ,मेरी दादी स्वर्गीय श्रीमती रामदेई जिनके विचारों का स्पष्ट प्रभाव आप मेरे ब्लोगिंग पर पायेंगे ,वे मुझसे अक्सर कहती थी “गाय का घी मानसिक असंतुलन ..अर्थात उर्जा असंतुलन ,यादशक्ति कमजोर होने पर ,और शक्ति स्थायित्व की कमी में रामबाण हैं”आधुनिक विज्ञान भी  इस बात  का समर्थन करता हैं,डेयरी के उत्पादों में सबसे अच्छा दही हैं ,जो pro-biotic तकनीक से तैयार होता हैं  |जब आप starvation diet पर होते हैं तो आपका  brain भी .. ,आपके भूखे रहने के कारण कष्ट पाता हैं,जीरो फिगर के लिए डायटिंग कर भूखा मरने से बचे...मस्तिष्क आपको दुवाये देंगा|

      एक कहावत हैं ‘eat your protien first,before you touch carbohydrates’.....हर प्रकार की दालें ,जई{oat},oat flour,aot meal,oat milk,dried beans....अखरोट,बादाम कों भोजन में शामिल करना चाहिए |कुछ soya products कम fat वाले होने के साथ साथ उच्च amino acids युक्त होते हैं ,जो neurotransmitters के समुचित संचालन हेतु आवश्यक होते हैं |प्रोटीन के अच्छे विकल्पों में मछली और अलसी का तेल भी हैं ,जिनमे ओमेगा-३  fatty acids भी होते हैं |सेब,संतरा ,गुलाब जल,अदरक,लीची ,मछली ,गाय का दूध ,लहसुन ,जिनसेंग आदि उत्तम आहार हैं |

        जिनसेंग मस्तिष्क की क्रिया कों नोर्मल करता हैं |यह heart beat,b.p.,और blood sugar के स्तर कों सामान्य बनाये रखने में मदद करता हैं साथ ही endocrine activity तथा metabolism क्रिया कों चुस्त-दुरुस्त रखता हैं |यह drugs,alcohal,chemotherapy,एवं अन्य टोक्सिन के प्रति प्रतिरोधी भी हैं|इसका भी  इस्तेमाल ब्रेन के उत्तम स्वास्थ्य के लिए होता हैं |

    Ginkgo Biloba{cognitive inhancer}brain cells में  acetylcholine recepter की संख्या कों बढ़ाने में सहायता प्रदान करता हैं जिससे memory,thinking,विश्लेषण व reasoning,तथा मानसिक सजगता बढती हैं |यह brain में  blood circulation कों बेटर करता हैं |

    आजकल बाजार में प्रोसेस्ड फूड्स की भरमार हैं |इनकी क्वालिटी पर भरोसा नही किया जा सकता ,न ही इनके निर्माताओ के तरफ से तैयार की  गयी विज्ञापनों पर |डिब्बा बंद भोजन ,नुक्सान देह होते हैं इनसे कोलाईटीस का खतरा रहता हैं ,जो की  एक गंभीर  आंत्रीय रोग हैं |

 memory कम या ज्यादा नही होती यह सिर्फ trained या untrained होती हैं ,

    :) अगली बार जब भाभी जी {आपकी धर्मपत्नी }या भैया जी {आपके पति} आपसे कहें की “जब भगवान बुद्धि बाँट रहे थे तो तुम कहा थे/थी ...तो कदापि मत कहियेंगा ,की “तुम्हारे साथ फेरे ले रही थी/रहा था “....| :)
बल्कि  खुद कों अच्छी मेमोरी के लिए ट्रेन करना हैं ,ऐसा संकल्प किजियेंगा ,भाई मैं तो अभी से प्रैक्टिस करने लगा हूँ ..:)

लेखन -डॉ अजय

  

5 August 2013

जिंदगी {आपसे कुछ कह रहीं हैं ....}



मैं जिंदगी हूँ ,मेरा वजूद बहुत हसींन और सौम्य हैं | ताजे खूबसूरत खिलते गुलाब सी खूबसूरत या मुस्कुराते/खिलखिलाते बच्चे सा खूबसूरत मेरा अस्तित्व हैं |वैसे तो मैं दुनिया के हर जीव  में हूँ ,पर मैं खुद को इस पृथ्वी के सबसे बेहतरीन एवं उन्नत निर्माण  ....इंसान के माध्यम से खुद को यहाँ व्यक्त कर रही हूँ |
  इंसानों के विषय में मैं कहूँ तो ज्यादातर इंसान मुझे ऑटोपायलट मोड पर रखते हैं ,उनकी जिन्दंगी में अगली क्या चीज होंगी इसका फैसला परिस्थितियां या लोग करते हैं ,कुछेक मुझे खुद आपरेट करते हैं ,जिनके साथ मैं बहुत खुशी और सुखी रहती हूँ |मेरा जीवन काल तो असीम और अनंत हैं पर तुम मनुष्य लोग इसे औसतन ९६० महीने या २९००० दिन जैसा छोटा जीवन काल की मान्यता रखते हों ,और जानते हों जिसकी जैसी मान्यता उसको वैसा ही फल,इस बात को प्राचीन ऋषि मुनि समझते थे|इस छोटे ग्रह पर ,इस अल्प जीवन काल में भी कुछ लोग अपना जीवन ऐसे जीते हैं जैसे उन्हें यहाँ हमेशा रहना हैं ..किन्तु मेरी {जिंदगी}मंजिल ही मौत हैं ,इस बात पर ध्यान नही देते ,आप तो जानते ही हों किसी  के रहने न रहने से कोई फर्क नही पड़ता ,दुनिया वैसी ही चलती रहेंगी शिवाय इसके की दुनिया को आपकी देंन क्या हैं ?आप क्या छोड़ के जा रहे हैं ?आपका योगदान {contribution}क्या हैं ?
मैं आपकी जिन्दंगी हमेशा आपके भीतर के नेता को बिना किसी उपाधि के बेस्ट कार्य करने को प्रेरित करती हूँ,बेस्ट कार्य करने के लिए कोई टोपी पहनने की जरूरत नही हैं,बल्कि सजगता और लगन की जरूरत हैं  |मैं  हमेशा आपसे ,आपके मौन,बेहद शांत ,स्थिर अवस्था में आपसे  बोलती हूँ ,पर आपके पास मुझे सुनने का वक्त ही नही होता,दिन भर आप क्लायिन्ट्स,मरीजो,मशीनों,फेसबुक,ट्विटर पर व्यस्त रहते हों,खुद से मिलने की सभी लाईने व्यस्त हैं |सुनों ! मौन की  अवस्था में आप इस ब्रम्हांड की फ्रीक्वेंसी से जुड़ने लगते हों,वही फ्रीक्वेंसी मेरी भी हैं ,क्यूंकि इसी ब्रम्हांड के कणों तत्वों से मैं भी बनी हूँ,जिनसे यह ब्रम्हांड बना हैं |नार्मन कजिम्स ने कहा भी हैं जिंदगी की त्रासदी मौत में नही,बल्कि जीते जी अंतर्मन को मारने में हैंमैं तुम्हारी जिन्दंगी कोई ट्रायल बाल नही हूँ ,बल्कि ऐसी गेम हूँ जिसे खेलने का सिर्फ एक मौका मिला हैं और परफार्मेंस भी उम्दा दर्जे की करनी हैं ,क्यूंकि दाँव पर आने वाली कई पीढियाँ होती हैं|
 वैज्ञानिकों के अनुसार एक दिन में लगभग ६० हज़ार विचार हमारे मन में आते हैं |जिसमे ज्यादातर घिसे-पिटे ,नकारात्मक चिंतन और फ़ालतू के विचार होते हैं ,जो लगातार चलते हैं |लगातार चलते हुए विचार आपको सृजन कि अवस्था में ले जाते हैं,मन को परिपक्व बनाओ  ,हर घटना को उसकी सही कीमत दो|आप वैसे बिना किसी कार्य के  किसी को दस रूपये तो देने से पहले दस बार सोचते हों,पर यदि उसने आपको गाली दी तो आप कम से कम दस दिन तक उसे मजा चिखाने का मौका ढूढते रहते हों,क्यों भई ! वों तो आपको गाली देकर आपके आत्मसंयम को परख रहा हैं|देखो तुम्हारे विचार शक्तिशाली जीवित बस्तुये हैं |जितना तुम अच्छा एहसास रखोंगे ,उतनी ही ज्यादा खूबसूरत मुझे देख पाओंगे |
मैं जिन्दंगी हूँ !मैंने देखा हैं की कुछ लोग हमेशा भय में ही जीते हैं प्रशंसा या स्वीकृति की जरूरत ,चीजों को नियंत्रित करने की जरूरत ...से सब भी भय से ही आते हैं |भय तुम्हारी खुद की निर्मित वस्तु हैं ,जैसे तुम किसी भी निर्मित वस्तु को नष्ट करते हों ,वैसे इसे भी नष्ट कर दो |जैसे ही भयमुक्त जीवन जीने लगोंगे...मैं और खूबसूरत दिखने लगूंगी ,मेरा सौंदर्य ,मेरी नाजुकता निखर के आ जाएँगी |
मैं जिन्दंगी हूँ | तुम्हे लोगों स्थितियो और घटनाओं को उसी रूप में स्वीकार करने का हुनर आना चाहिए जिस रूप में हैं ,क्यूंकि यह परफेक्ट क्षण हैं |इस क्षण को बनाने में ब्रम्हाड  की पूरी भूमिका हैं |इस क्षण को पूरी तरह जी लों ,निचोड़ लो,ताकि अगर यमराज भी आये तो,साथ चलने को कहें तो,साथ हँसते हुए निकल सको |
 मैं जिन्दंगी हूँ ,मैं असीम हूँ पर तुम तथाकथित बुद्धिमानी का भ्रम रखने वाले ,अहंकारी  मानव मुझे सीमाओं में बांधकर,मेरे लिए बाउंड्री-वाल  बनाकर अपने ही पैरों पर कुल्हारी मारते रहते हों........कि तुम ये नही कर सकते,.   वों नही कर सकते.........,हमेशा कमी का रोना रोते हों|तुम जान लो की तुम अपनी सीमाओं से उपर कभी नही उठ सकते |जितनी ज्यादा तुम चादर फैलाओगे,उतनी ज्यादा ही ज्यादा यह फैलती जायेंगी |समाधी की अवस्था में हवा में उड़ने वाले महर्षि योगी या ऐसे अनेक ऐसे लोगों को तुम जानते हों जिन्होंने हर सीमाओं को तोडा,यकींन मानो हर सीमा तुम्हारी खुद की निर्मित वस्तु हैं..............!खुद को वह देखने दो जो तुम्हारा दिल महसूस करता हैं,न की वह जो तुम्हे दुनिया दिखाती हैं | तुम्हारे मस्तिष्क की हर झूठी सीमा भय आधारित हैं बस ,और भय चेतना की नकारात्मक धारा के अतिरिक्त कुछ भी नही हैं | भौरा एक छोटा कीट ,वायुगतिकी के सिद्धांत के अनुसार उसके पंख इतने छोटे होते हैं की उसके शरीर के भार को वहन नही कर सकते ..किन्तु भौरे को यह बात पता नही हैं ..उसे भौतिकी नही आती ....वह उड़ता रहता हैं |तुम जो हाड़-मांस दीखते हों उससे कही अधिक हों ,सारे संसार की शक्ति तुममे समाहित हैं !समझे तुम |हर एक बीज में जंगल बनने कि प्रत्याशा समायी हुयी होती हैं |
   जब तुमसे जुदा होने का वक्त आता हैं,जिसे तुम एक उत्सव यानि -मौत कहते हों ,तब तुमको अक्सर याद आता हैं की, तुमने अभी तो मुझे {जिन्दंगी कों}ठीक से पहचाना ही नही |आखिरी समय में तुम्हे लगता हैं की कोई जीवनराग अभी अधूरा ही रह गया जो तुम गा ही नही सके |आखिरी समय में तुम पाते हों की हर आपदा को जीत में और शीशे को सोने में बदलने का हुनर तुमने सीखा ही नही |अब आखिरी वक्त में तुम्हे इस बात पर पक्का यकींन  हों गया की वर्तमान का कार्य ,वर्तमान में ही किया जा सकता हैं{पर इस समय तुम्हारे पास वर्तमान का ज्यादा वक्त ही नही हैं } अतीत और भविष्य का जन्म तो कल्पना से होता हैं ,अतीत को तुम केवल याद कर सकते हों और भविष्य की सिर्फ कल्पना कर सकते हों |
कुछ ऐसे लोग हैं जिनके साथ रहने में हर क्षण हर पल मेरा मान ,मेरी खूबसूरती केवल बढती हैं ,दुनिया के लोग,इन लोगों को सम्मान में अपना सिर झुकाते हैं ,ये लोग मुझे गेम की तरह खेलते हैं ,इनका गेम खेलना सचमुच मुझे रोमांचित कर जाता हैं ,ये लोग अपनी पूरी प्रतिभा ,संसाधन ,युक्ति एवं उपाय तथा अपनी सर्वोत्कृष्ट क्षमता महान कार्यों में लगाते हैं ,हर कार्य को श्रेष्ठता और निर्दोष मानकों के अनुसार करते हैं ,हमेशा हर परिस्थिति में आशावादी बने रहते हैं,मैं खूबसूरत जिन्दंगी ! इन लोगों की स्वामिनी नही.... दासी हूँ |

लेखन अजय यादव

@मौलिक एवं अप्रकाशित


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