31 January 2013

"visualization" secrets in hindi.


प्राचीन भारतीय ऋषि मुनि ध्यान द्वारा परमात्मा से साक्षात्कार करते थे ,इसके लिए वे मस्तिष्क कि अनंत शक्तियों का उपयोग करते थे |

आधुनिक शोधो से मानव मन के दोप्रकार ज्ञात हुए हैं –चेतन वा अवचेतन |चेतन या जागृत मन जिसका हम केवल एक से पन्द्रह प्रतिशत उपयोग करते हैं |इन्द्रिय नियंत्रण ,शरीर कि हलचल ,विचार एवं तर्कशक्ति ,बुध्हिमत्ता ,सही अवसर कि पहचान एवं उसका सही फायदा उठाना ,अच्छे-बुरे कि पहचान ,इच्छा कि उत्पत्ति आदि सब जागृत मन कि शक्तिया हैं ,


ये सब मानवीय शक्तियां हैं जो केवल १५% हैं बाकी कि ८५%शक्ति अवचेतन मन के पास हैं ,जिसे हम दैवीय शक्ति,ईश्वरीय शक्ति या अलौकिक शक्ति भी कहते हैं |इन्द्रियो पर चेतन वा अवचेतन दोनों मनो का नियंत्रण होता हैं |टेलीपैथी यादशक्ति ,भावनाएं ,ज्ञान,प्रज्ञा ,सही अवसर खड़े करने कि क्षमता ऐसी कई शक्तियां अवचेतन मन के पास हैं ,इस मन के पास एक नैसर्गिक घडी वा कलेंडर भी हैं |इसके आलावा शरीर के स्वसंचालित तंत्र पर काबू .घाव भरना ,इच्छा-मृत्यु ,मनोबल आदि एवं आध्यात्मिक शक्तियां अवचेतन मन के पास होती हैं |
जागृत अवस्था में मस्तिष्क में १४-३५ तरंगे प्रति सेकंड होती हैं जिसे बीटा

वेव या मन की बीटा अवस्था कहते हैं ,और अर्द्ध-जागृत अवस्था में ७-१४ तरंगे प्रति सेकण्ड होती हैं जिन्हें अल्फ़ा वेव या मन कि अल्फ़ा अवस्था कहते हैं |
अल्फ़ा अवस्था में कल्पनाशक्ति के माध्यम से जो भी सृजन या आदेश चेतन[जागृत]मन से अवचेतन मन को देते हैं वह बिना तर्क के स्वीकार कर लेता हैं और हमारे जीवन में ठीक वैसा ही अवसर खड़ा करता हैं |रोज सोने सेपहले अर्धनिद्रा कि अवस्था में ,अल्फ़ा अवस्था में,हम प्राकृतिक रूप से होते हैं [इसके आलावा RELAXATION वा MEDITATION से इच्छा अनुसार अल्फ़ा अवस्था में जाया जा सकता हैं ]हमे रोज अपने सकारात्मक विचारों वाले आत्मसुझाव [जैसा हम बनना चाहते हों ,जो करना चाहते हों }सोने से पहले दुहराना चाहियें |आत्म् सुझावों में न ,नही या वास्तविकता से परें कुछ भी नही होना चाहियें |सुनिए विसुलायिजेसन कैसे करना हैं-


उदाहरण के लिए –मैं बहुत फुर्तीला हूँ ,मैं सफल रहूँगा .तो आपका मन सफलता कि उम्मीद के लिए तैयार करता हैं |यदि आप सोंचे कि मैं असफल रहूँगा तो आपका मस्तिष्क आपके शरीर को कहता हैं कि ‘कोशिश भी मत करो क्यूंकि सफलता कि कोई आशा नही हैं’|






सोचने का मतलब मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएँ करना हैं ,जिससे शरीर सीधा जुड़ा होता हैं ,इसलिए हर वक्त सकारात्मक वा उच्च विचार रखें |सही विचार अपने दिमाग को लगातार देते रहना चाहिये नही तो गलत विचार अपने आप खाली दिमाग को भर लेंगे |एक विद्यार्थी कामयाब लोगों कि जीवनियो को पढ़ता हैं ,जिन्होंने कठिनाईयों के वावजूद सफलता हासिल किया हैं और अपनी कमियों को खूबियों में बदला हैं |

अपनी मनचाही वातु,व्यक्ति या घटना कअपने मस्तिष्क में देखना ही रचनात्मक कल्पना हैं |यह एक क्रिया हैं जिसमे मनुष्य सृजन ,दृष्टी,कल्पना ,अनुभव  द्वारा अपने मानस पटल पर हम प्राप्ति का,अपने पसंद के नए व्यक्तित्व का चित्रांकन करतें हैं |अपने लक्ष्य की कल्पना कीजिये और उसका मानसिक पर्दे पर इस प्रकार चित्रांकन किजीयें जैसे आपने उसे पा लिया हों |पूरे मनचाहे परिणाम को देखना हैं ,उसे इन्द्रियों द्वारा महसूस करना हैं |गंध महसूस किजीयें |,रंग देखिये |ताप महसूस कीजिये ,सफलता खुशी का अनुभव किजीयें | एक आराम देह कुर्सी पर बैठ जाईये ,दोनों हाथो कि उंगलियों को आपस में मिला लीजिए |और ऐसी जगह बैठिये जहाँ आपको कोई डिस्टर्ब न करे

एक बहुत ही प्रेरक बुक लोड कीजिये
http://www.divshare.com/download/23661190-e47

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